कपिल देव

कपिल देव
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Thursday, April 22, 2010

‘मै और मेरा समय’

कविता



मै
मेरा घर
किताबे मेरी
मेरे विचार
मैं जो सोचता हूं
मेरा समय
समय में
मैं
समय के बारे में
मैनें यह लिखा ऐसा लिखा वैसा लिखा
उनके बारे में, खिलाफ उनके
लिखा मैंने
स्वार्थ, लोभ, लालच, बाजार,वैश्वीकरण, गरीबी दरिद्रता
सबसे पहले मैने ही किये विचार
उच्चारे तमाम तमाम शब्द-पद
खोजे मैने ही

क्या नहीं कहा मैने
सब तो मैं कह चुका हूं
कहता ही रहा हूं/रहूंगा मैं
जब तक मैं रहूंगा
कहता ही रहूंगा
खोजता ही रहूंगा मैं
इस समय
में
अपनी जगह
में अपना हिस्सा
में अपना अवकाश
और में अपनी.....
अपनी... में
के लिए लड़ता ही रहूंगा
मैं
----- कपिलदेव
22.04.010

2 comments:

  1. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।

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  2. अपनी जगह
    में अपना हिस्सा
    में अपना अवकाश
    और में अपनी.....
    अपनी... में
    के लिए लड़ता ही रहूंगा
    मैं
    यही है जीवट शक्ती । सुंदर रचना ।

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